Shittalpati
वंय

खै पासा जी वंय
ठज्यू ए डू ज्यू हाल
जी शब्द त स्वेटा दृश्य नेन्टा
गन्ध त स्वाद क्यान 
आकाशया सिक्के पातालया ख ल्याटा

छौ न्हेपु डू पासा ,ज्यु नुग
छ ङ्याउ इन्द्रिय न ज्यान यान , जी खुउ न
छ बाठा ड पासा , जी यक्क नू ये न 
खै पासा जी वंय
ठज्यू ए डू ज्यू हाल
जी माघया खोंउ य चोनेवेला मेपिन बोवुल
न्हेनु मनौं स्वाइनी ख्याक लागै जौं ढाल

जी सोन्हु खोइविले
जी त बुद्ध छोइविले
तूफानमे हालेविले
जी प्याखुं ल्हुं वेला 
जी त पागल ढाल
मूर्ख पिन्स जी त राँची छोएवील
सीट ला म्वाट ढ्यानी कुटियाविल
मसीट खनी ठों वंय
ठ ज्यू ख डू सा छला नेला 
खै पासा जी वंय
ठज्यू ए डू ज्यू हाल

छौं टरिम गुभाजु ज्यू धुन्धकारी 
छौं लुउँ , ज्यू ङ्या 
छौं धर्म , ज्यू पाप
छौं बाल्लाज्यू , ज्यू बाल्लामखु
छौं ऐला , ज्यू हि
छौं संसार , ज्यू सं
ठज्यू ए डू ज्यू हाल
खै पासा जी वंय
ठज्यू ए डू ज्यू हाल

जब मनु न मनु मढ्यान
मि ज्वाला स्वेटा पासा
गज्यू गज्यू जुल
ज्यू सांस गज्यू फेंवल जुयन 
ज्यू ख्वा बाल्ला मजु यन
जले जुयन ज्यू छें स्या पासा 
म वुटौ नेई थेन्टु ठो टरौ संसार
पागल ज्वालामुखिया ठो खं ख

खै पासा जी वंय 
सन्के ज्यू खः सन्के ज्यू 
यक्क नू येन – वंय– यक्क नू येन
खै पासा जी वंय
ठज्यू ए डू ज्यू हाल
(महाकवि लक्ष्मीप्रसाद देवकोटाको ‘पागल’ कविताको नेपाल भाषामा अनुवाद गर्ने प्रयास )

प्रकाशित मिति: बिहीबार, साउन २४, २०८१
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